दरूद शरीफ़ की फ़ज़ीलते

दरूद शरीफ़ की फ़ज़ीलते

  • Apr 14, 2020
  • Qurban Ali
  • Tuesday, 9:45 AM

अल्लाहुम्मा् स़ल्लि अ़ला सय्यिदिना मुह़म्मदिवॅं व अ़ला आलि सय्येदिना मुहम्मदिन कमा स़ल्लेता् अ़ला सय्यिदिना इब्राहिमा् व अ़ला आलि सय्यिदिना इब्राहिमा् इन्नका् हमीदुम मजीद। अल्लाहुम्मा् बारिक अ़ला सय्येदिना मुहम्मदिवॅं व अ़ला सय्यिदिना मुह़म्मदिन कमा बारक-ता् अ़ला सय्यिदिना इब्राहिमा् व अ़ला आलि सय्यिदिना इब्राहिमा् इन्नका् हमीदुम मजीद। बेशक अल्लाह तआला और उसके फ़रिश्ते नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दरूद भेजते हैं। ऐ ईमान वालो तुम भी रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर खूब दरूद-ओ-सलाम भेजा करो। दरूद गुनाहो का कफ़्फ़ारा है जिससे इंसान के अमल पाक होते हैं। दरूद पढ़ने से दरजात बुलंद होते हैं। दरूद पढ़ने शख्स को पैमाने भर कर सवाब मिलता है। जो शख्स दरूद को अपना वज़ीफ़ा बना लेता है अल्लाह पाक उस के दुनिया और आख़िरत के काम अपने ज़िम्मे ले लेता है। दरूद पढ़ने का सवाब गुलाम आज़ाद करने से भी ज़्यादा है। हमारे प्यारे नबी करीम मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम दरूद पढ़ने वाले के ईमान की खुद गवाही देंगे। इसे कसरत से पड़ने वाले के लिए अल्लाह तआला की रज़ा और रेहमत लिख दी जाती हैं। दरूद शरीफ पढ़ने का अमल अल्लाह तआला को हमारे सभी आमालो से ज़्यादा प्यारा है। इसलिए एक मुसलमान को चाहिए के वो पाबन्दी से अपनी इस ज़िन्दगी और आख़िरत में कामियाबी के लिए और अल्लाह को राज़ी रखने के लिए दरूद शरीफ को पढ़ा करे।

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